मेरी यात्रा
मैं एक पचपन साल की ग्रहणी हुँ। इन पचपन साल की यात्रा में बहुत कुछ छोटे-छोटे पड़ाव रहे। मैं एक आर्मी परिवार से हुँ। मेरे पिता और भाई आर्मी से सेवानिवृत्त हैं। इसलिए हमारे घर का माहौल भी फ़ौजी जीवन से मिलता जुलता था। किताबें पढ़ना, रोजना डायरी लिखना, भिन्न-भिन्न प्रांतों के लोगों से मिलना, और प्रकृति के समीप रहना। मैं भी अपनी M.A की पढ़ाई के बाद कुछ साल आर्मी स्कूल में Headmistress रहीं। जीवन के वो सात-आठ साल, मेरे जीवनकाल के सबसे महत्वपूर्ण साल थे। बहुत कुछ सिखा और सिखाया इन सालो में। फिर शादी हुई एक रेलवे से जुड़े परिवार में। ज़िंदगी की गाड़ी फिर से पटरी पर सरपट दौड़ने लगी एक प्यारे से परिवार के साथ। सब कर्तव्य पूरे हो गये। बच्चे अपने अपने जीवन में व्यस्त हो गये। अब फिर मेरी नयी यात्रा शुरू हुई, कलम के साथ, आपके साथ। अकसर मैंने पाया, रायता तो सभी के जीवन में फैला रहता हैं, पर ज़रूरत है बस एक नज़रिये की, ताकि हम उस रायते को हँसी-ख़ुशी से समेट सके। तो चलिए शुरुवात करते हैं कुछ हल्के-फुलके क़िस्सो के साथ मुझे उम्मीद हैं की मैं आपके दिलों तक पहुँच सकूँगी, कुछ हसी ख़ुशी के पल बाँटकर।
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