बारिश

कई दिनों से बारिश का इंतज़ार कर रही थी। आज सुबह से बादलों की आँख-मिचौली चल रही है, और आख़िर बादल बरस ही पड़े।

मुझे हमेशा इंतजार रहता है अपनी मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू का, लहलहाते खेतों के दृश्य का, पानी से नहाये हरे-भरे वृक्षों का, और मुस्कुराते फूलों का।

कितनी आनंदमयी अनुभूति है बारिश की।
छम-छम करती मोती जैसी चमकती बूँदे जब धरती में समाती हैं, तो गीली मिट्टी की महक से तन-मन महक जाता है। मिट्टी की ख़ुशबू दिमाग से उतर कर दिल में समा जाती है, और दिल के घोड़े तुरन्त रसोई में गरमागरम पकौड़ों की तरफ।

आलू, प्याज, मिर्च और पनीर जब बेसन में डुबकी लगाते हैं तो दिल उसकी ख़ुशबू से बेकाबू होकर मुँह में पानी के बाँध खोल देता है।

बस इसी लिए दिल हमेशा बारिश का इंतज़ार करता रहता है।

दरअसल ये लिखते-लिखते भी मेरी कलम बहक गयी।

मैं तो चली रसोई में पकौड़े बनाने। आप भी मज़ा लें इस ख़ूबसूरत बारिश का, जैसे आपका मन चाहे।

– लता मक्कड़

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