कभी-कभी मेरे दिल में ख़्याल आता है, कि काश हम महिलाओं के लिए भी हर गली-नुक्कड़ पर पान या चाय की टपरी होती। जहाँ शाम को घर के सब काम निपटा कर मिलते, ठहाके लगाते, मस्ती करते, दिनभर की थकान और परेशानियाँ बाँटते , नयी-नयी योजनाएँ बनाते।
जैसे-पुरुष टपरी पर खड़े होकर कोहली के छक्कों की, पड़ोसी के बच्चों की, और बीवी के खर्चो की बातें करते है-हम ग्रहणियाँ किचन में नया क्या बनाऊँ, फ्री टाइम में नया क्या काम करूँ, या कहाँ सेल लगी है, चाय की चुस्की या मीठे पान की गिलोरी के साथ आने वाले कल की, पड़ोसन की और सास-बहु की बातें चटकारे ले-लेकर करते। एक दूसरे को ताली मारकर ख़ुशी के पल बाँटते, थोड़ी देर भूलकर बच्चों का खाना या पति का ऑफ़िस, एक दूसरे को लतीफ़े सुनाते। वैसे “कल क्या बनाऊँ” वाली राष्ट्रीय समस्या का समाधान भी टपरी पर ही मिल जाता। कितना मज़ा आता चलते-चलते पति की और सासुमाँ की बढ़ा-चढ़ाकर बुराई करते, फिर एक दूसरे को ताली मारकर कहते- चल यार कल फिर मिलते है इसी समय अपनी टपरी पर।
महिलाओं के लिए समानता की गुहार लगाती, लता मक्कड़
Blog on tapri, Joke on tapri, Hindi Blogs, Funny Jokes in Hindi, Funny Blogs
Leave a Reply