आप भी सोच रहे होंगे कि भाई क्या हैं ये आम की गुठली?
क्या बताऊँ आजकल तो सबसे प्रिय है मुझे। जब भी मेरे पास होती है तो लगता है क्या-क्या लिख दूँ इसकी तारीफ़ में।इसका रूप, इसकी ख़ुशबू , इसका स्वाद, बस थोड़े ही दिन तो होता है। अरे अरे, कलम तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं इसकी तारीफ़ में! ऐसा हैं इसका जादू। आप कितने भी बड़े हो जाओ, पर सामने आते ही आपको बचपन का प्यार याद आ ही जायेगा। भाई मेरे तो देखते ही आँखो में चमक आ जाती हैं।
इतनी तारीफ़ इसलिए कि मुझे ज़्यादा मिठास मना हैं। परंतु जब भी मुझे आम काटने का मौका मिले तो लगता हैं लोटरी लग गयी। उसकी गुठली का रस मेरे मन के रस में समा जाता हैं। मुँह और हाथ सब उसका आनंद लें रहे होते हैं और ऊपर से गुठली, मेरा एकाधिकार तो पूछो ही मत! बस रस ही रस। कभी आप भी छुरी, काँटा छोड़कर बचपन की तरह इस आम की गुठली का आनंद लेकर देखे, उम्र भूल जाएँगे।
Leave a Reply