आज के समय में परेशनियाँ
बहुत हैं। लेकिन हमें उन्ही परेशानियों में से कुछ पल ख़ुशी के चुराने हैं। सीधा सीधा कहें तो हमें ख़ुश रहना हैं। इन सब के लिए हमें ज़्यादा कुछ नहीं करना होता, बस कुछ देर के लिए आँखे बंद करनी होती है, या रास्ता बदलना होता हैं और ख़ुशियाँ हमें खुद ढूँढ लेती हैं। वैसे मैं ऐसी छोटी-छोटी कोशिशें करती रहती हुँ। मसलन ऐसी चीजों से दूर रहने की कोशिश करती हुँ, जो मुझे टेन्शन में डाल सकती हैं। आप सोच रहे होंगे वो कैसे।
दरअसल मैं ऐसी चीजों से दूर रहती हूँ , जो मुझे मोटा फील कराती हैं।
जैसे वजन तोलने की मशीन, शीशा, पुरानी तस्वीरें, और पतले दोस्त। मैं खुद से वज़नदार दोस्त ही ढूँढती हुँ। डॉक्टर अगर पूछे के वजन कितना कम हुआ, तो भले ही 99 हुआ हो, 100 ही बताती हुँ। अगले महीने के लिए मार्जन रखना होता है भाई। दूसरा जब अपने डॉक्टर से मिलने जाती हुँ तो कपड़े ढीले पहन कर जाती हुँ जिससे वजन बढ़ने पर उनका ध्यान ही नहीं जाये। सोचो- ढूँढ ली ना ख़ुशी इतनी टेंशन के विषय में भी। बहुत ख़ुशी मिलती है इन छोटी-छोटी चोरियों से। भले ही ये सब गलत है, परन्तु थोड़ी सी खुशी पाने के लिये कभी-कभी कुछ देर के लिये आँखे बंद कर लेनी चाहिए।ख़ुशियों को मेरी तरह अपने इर्द-गिर्द पाएँगे।
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