“भाई तुम आदमी हो या पायजामा“ ये जुमला आपने कई बार सुना होगा, और आपको बुरा भी लगा होगा। लेकिन सच तो ये हैं कि ये जुमला इनाम हैं आपके लिए। भाई पयजामा से ज़्यादा सुकून देने वाला कुछ है ही नहीं। जब सारे दिन की भागदौड़ के बाद घर आकर हम अपने पयजामा में आ जाते हैं, तो सारे दिन की थकावट दर-किनार हो जाती हैं। और आप सारी थकान भूलकर बहुत Homily feel करते हैं। तो भाई पायज़ामे से सुखद कुछ नहीं लगता! बहुत अपना सा सुखद एहसास से भरा। तो जब भी आपको कोई कहे की “भाई तुम आदमी हो या पायजामा” तो ग़ुस्सा होने के बजाये उसके सामने प्यारी सी मुस्कान बिखेर देना, और कहना की “हाँ भाई हुँ मैं पायजामा” कया आपको भी बनना हैं पायजामा।
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