इतवार, रविवार, संडे, छुट्टी का दिन—बस यही तो घूमता रहता है हम ग्रहणियों के दिमाग़ में। वैसे तो पुरुषों को भी इंतज़ार रहता है संडे की छुट्टी का, परन्तु दोनों की प्राथमिकता अलग है। पुरुष के लिये Sunday का अर्थ है Funday: देर तक सोना, पसंद का खाना, फ़ोन पर लंबी-लंबी बातें, दोस्तों से मुलाक़ातें, खुद की साज-सज्जा, और समय बचा तो TV से प्यार, बीवी से तकरार।
दूसरी तरफ, बीवियों का Full working day: खाने, कपड़े, सफ़ाई, बच्चों की पढ़ाई, पति से लड़ाई, जेब की सफ़ाई, बच्चों पर बड़बड़ाई, सास की बुराई, रिश्तेदारों की कतार, काम की रफ़्तार—पूछो मत, भाई! और ना जाने कितने काम होते हैं।
तीसरी तरफ, Working women—पाँच दिन office में boss का प्रेशर, छुट्टी के दिन सास का प्रेशर, पति की फ़रमाइश, बच्चों की आज़माइश, खाने की जंग, TV के रंग, पड़ोसियों से बात, रिश्तेदारों से मुलाक़ात, दोस्तों की मनुहार, घर आने को तैयार, कामवाली के नख़रे, बच्चों के झगड़े।
ये है इतवार। जैसा भी है, इससे हम सबको है प्यार।
अगले Sunday की राह देखती, लता मक्कड़
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