कितना प्यारा जुमला हैं ना की, चाय पियेंगे आप?
इस जुमले में चीनी सी मिठास, और पत्ती सी कड़क यादें छिपी हैं। इस चाय की प्याली में छिपी होती हैं, कुछ मीठी यादें, कुछ अनुभव, दोस्तों की महफ़िल और कुछ अपनो का साथ। उस एक चाय की प्याली में आप अपनी ज़िंदगी के वो पल, वो दास्ताँ जो अनकही और अनसुनी हैं अब तक वो आप कहना चाहते थे। वो तमाम क़िस्से जो सुना नहीं पाये। आप उस गरम चाय की प्याली से उठते हुए धुंए के साथ कुछ पल में बाँट देते हो। शायद जितनी बातें चाय पर दो अजनबी कर लेते हैं इतनी तो अपनो के बीच भी नहीं हो पाती। तो जब भी किसी के क़िस्से सुनने हो तो बस पूछ ले की, चाय पियेंगे आप?
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