बुढ़ापा तू कितना सुंदर हैं। कितना खूबसूरत हैं, शान्त सा, निश्चल सा, ठहरा हुआ ना सजने संवरने की चिन्ता, ना ही किसी को रिझाने की ख़्वाहिश। सच में बहुत ख़ूबसूरत हैं बुढ़ापा। अपने लिये नहीं, दूसरों की ख़ुशी के लिए जीने का नाम है बुढ़ापा। ज़िंदगी की सारी भागदौड़ यहीं आकर रुक जाती हैं। क्योंकि आने वाली नयी और खूबसूरत सी दुनिया में, फिर से नये लोग, नये परिवार बहुत ही ख़ूबसूरत हैं। कुछ नया करने की ख्वाहिशें अपने और अपनो के सपने पूरा होने की ख़ुशी सब बहुत प्यारा हैं। सच में बुढ़ापा तू कितना खूबसूरत हैं।
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