हमारे चाँद
आज भी हमारे चाँद हो तुम, अदरक की तरह फैल गये हो, फिर भी हमारा चाँद हो तुम।
रसोई की राजनीति
माँ का मुक़ाबला कोई नहीं कर सकता, किसी भी क्षेत्र में, चाहे वो बच्चों को
आज भी हमारे चाँद हो तुम, अदरक की तरह फैल गये हो, फिर भी हमारा चाँद हो तुम।
माँ का मुक़ाबला कोई नहीं कर सकता, किसी भी क्षेत्र में, चाहे वो बच्चों को